Sunday, 20 January 2013

सफ़र के महीने से अपशकुन लेना

सफ़र के महीने से अपशकुन लेना

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शीर्षक: सफ़र के महीने से अपशकुन लेना
भाषा: हिन्दी
लेखक : अब्दुलहमीद बिन जाफर दाग़िस्तानी
अनुवादक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्ला
के प्रकाशन से : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
संछिप्त विवरण: प्रस्तुत लेख में अपशकुन व निराशावाद का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि यदि मुसलमान के दिल में अपशकुन पैदा हो जाए तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। तथा इस बात पर प्रकाश डाली गई है कि सफर के महीने से अपशकुन लेना जाहिलियत के समयकाल की प्रथा है, इस्लाम धर्म में उसकी कोई वास्तविकता नहीं है।

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